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Sunday 7 February 2016

रामायण ग्रन्थ हमारा गर्व हैं

 ,                                                

                                    पहला ग्रन्थ - रामायण 


   
 महापुरुषों ने इस समाज में जन्म लिया,दुनिया में यह समाज आदर्श का दूसरा नाम था औए हैं ग्रन्थ हमारा गर्व हैं
           हर युग में जब जब गरीबो कमजोरो पर जुलम बढ़ता हैं। चारो तरफ अफरा तफरी बढ़ जाती हैं तब हीरो का जन्म होता हैं। हीरो कभी अपने लिये नहीं सोचता। अपने मुँह का निवाला दूसरे को दे दे। खुद तकलीफ देख कर दुसरो के दुःख दूर करे,बिना किसी स्वार्थ लोगो इस जहाँ की सेवा में अपना सब कुछ लगा दे ते हैं।

                      धरती पहले पहले जाती,धर्म नहीं था सब का एक ही धरम था इंसान।जो की आज कही पीछे छूट गया हैं। उस दौर में खेती ही जीवन का आधार था। जानवर और इंसानो के बीच कोई तीसरा नहीं था। बैलो से खेती और बैलगाड़ी से सफर अमूमन औरते बैलगाड़ी से सफर करती थी ,मर्द तो पैदल ही निकल पड़ते थे।
                        समय के साथ धरती बदलती गई और समय का चक्र आगे बढ़ता रहा।कई युग युगो के बाद धरती पर जुल्म बढ़ गया तब चारो तरफ एक ही आवाज़ हर गरीब और कमजोर,साधु संत  की एक आवाज निकल रही थी।  हे ऊपर वाले अब तो आजा। तब धरती पर राम   कृष्ण ,मुहमद ,ईशा ने धरती पर जन्म लिया। अब देखने वाली बात यह हैं की ऊपर तीन लोग का साम्राज्य छोड़ कर क्यों राजा दशरथ के पुत्र बने। काहे जेल में जन्म लिया कृष्ण नै। क्यों ईशा गरीब के घर पैदा हुए।
                       इसका कारण हैं हीरोज (महापुरषो को चमकदमक नहीं ऐश आराम नहीं जनता के दुखो को समझना हैं तभी तो उनको पता चलेगा की दुःख ऐसा होता। मैं यह सब लिख रहा हूँ क्यों की आज चारो तरफ अफरा तफरी सिर्फ अम्मीर बनाने की लगी हैं मैं यह नहीं कहता की धन नहीं होना चाहिए लेकिन इस कदर भी नहीं की सभी रिस्तो का मोल इंसानियत का मोल सिर्फ रुपयो व धन के आगे कुछ नहीं।
               
                 राम जो की दशरथ नंदन विष्णु अवतारी लेकिन  कितने सरल सब का दिल जीतने वाले और साथ में सीता भाई लक्ष्मण भरत ,शत्रुघ्न और तीन तीन माताएँ पिता दशरथ। अर्थात कितने सुखी कितने अमीर सबकुछ था राम के पास। राम को सब कुछ बिना कुछ किये जन्म ते ही मिल गई। क्या कमी थी राम को। लेकिन राम के लिये यह सब सुख बेकार था।
                राम अयोध्या की गलियों में घूमते थे लोग कहते राजकुमार होकर भी हमारे बीच घूम रहे हैं।
 राम उस युग से लेकर आज तक हमारे हीरो हैं कारण सुख छोड़ कर जंगलो में भटके,कही केवट तो कही सबरी के बेर,तो कही अहियल्या को पत्थर से नारी बनाना,कही जटाऊ का मोक्ष कही हनुमान की दोस्त भक्ति कही सुग्रीव को राज दिलाना ,कही तड़का वध कही रावण का वध और सुग्रीव को राज देना। खुद नै कभी कुछ नहीं माँगा। चाहते तो खुद रावण का वध अकेले ही कर सकते थे लेकिन पप्रकर्ति के सामने नत मस्तक कभी नियम नहीं तोडा। अगर हीरो ही नियम तोड़ेंगे तो फिर इस प्रकर्ति को कौन बचाएगा।
                दोस्तों,
                         आज मैं रामायण के कुछ पहलू आपको बताऊंगा ,जिसके कारन हर हिंदू को रामायण अपने घर पर रखनी चाहिये।  रामायण अपने आप में पूरी प्रकर्ति हैं रामायण के पात्र जिस प्रकार नाम और काम हैं उसको समझाना जरुरी हैं। राम ,सीता लक्ष्मण ,हनुमान ,भरत ,सबरी,रावण ,जटाऊ ,सग्रीव,मारीच ,तड़का ,सूर्पनखा ,बाली,जामवंत व अन्य सभी पात्रो की अपनी कहानी हैं

           हनुमान किया हैं 


रामायण में अगर हनुमान नहीं होते तो रामायण सुनी होती। जंगल में सीता हरण के बाद हनुमान ही राम के रखवाले थे। जो सर्ष्टि के रखवाले उनके रख रखवाले हनुमान। जब सीता की खोज का बीड़ा घुमाया जाता हैं तब शांति से हनुमान मुस्कराते हुए उस बीड़े को देख रहे हैं सब के जामवंत सभा को कहते हैं की यह बीड़ा तो हनुमान ही उठा सकते हैं। दूसरा कोई नहीं। हनुमान कुछ सोचते हैं। .सभा में सन्नाटा क्या हुआ हनुमान तभी जामवंत लो हनुमान अब तुम ही हो जो राम काम पूरा कर सकते हो। हनुमान उस बड़े को उठाते हैं और आप और मैं सब को पता हैं की हनुमान नैं उस बीडे की लाजरखी बल्कि सीता का पता लगा कर रावण की लंका में आग लगा दे ,
                 जब लक्ष्मण को शक्ति लगी तब भी सब की नजर हनुमान पर थी ,सूरज उगने से पहले जड़ी बूंटी लाना क्या मजाक था लेकिन हनुमान ने करदिया। जब भरत ने राम से कहा था की 14 बर्षो के बाद अगर एक भी दिन जायदा होगया तो आपका भरत अपने प्राण आग में जलकर त्याग देगा। लंका विजय के बाद राम के मन में अब एक ही चिंता थी की अगर समय पर नहीं पहुंचा तो भरत प्राण त्याग देगा। लेकिन ऐसा कोई विमान नहीं जिस से सूर्यास्त से पहले अयोध्या पहुंचा जाये। तब जामवंत राम की अंतरमन की आवाज सुनकर राम को कहतें हैं की हनुमान हैं ना विमान से भी सौ गुणा तेज और हनुमान राम को अयोधिया पहुँचते हैं।

             हनुमान जी से ली जाने वाली शिक्षाएँ 

                1.  दृढता ऐशी होनी चाहिए की बड़ी से बड़ी बाधायें भी भाग जाये 
                2 . ताकत होने पर भी झुक कर रहना अर्थात नम्र स्वभाव।
                3 . अगर ताकत हैं तो दुसरो की सहायता करो। 
                4 . ताकत होने पर भी घमंड नहीं। 
                5 . राम के सभी काम हनुमान ने पार लगाएं फिर भी कभी यह नहीं कहा की मैने किये। 
                6 . चरित्र में हनुमान सदैव पूजनीय हैं। वैसे ही हमें रहना चाहिए। 
                7 . मुसीबत देख कर घबराना नहीं चाहिय। 
                8 . सदैव मुस्कुराते रहना चाहे कितनी ही बाधाएं आएं। 
                9 . कभी स्वार्थी नहीं होना भी हनुमान जी से सिख सकतें हैं  
              10 .दुःख में सदैव सब से पहले साथ देना तभी तो संकट मोचन नाम पड़ा।  


                इसी प्रकार आप को रामायण के हर किरदार की खूबियों को पढ़ने को मिलेगा
  
                                                               धन्यवाद 

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